ब्लैक फंगस बना नई चुनौती, 18 जिलों में हुई दस्तक 

ब्लैक फंगस बना नई चुनौती, 18 जिलों में हुई दस्तक 

चंडीगढ़
कोरोना की दूसरी लहर से पार पा रहे हरियाणा के लिए अब ब्लैक फंगस बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। ब्लैक फंगस के खतरनाक होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसकी मृत्यु दर कोरोना से 6 गुणा अधिक है।

मतलब एक तरफ कोरोना के 100 मरीजों में से एक मरीज की मौत होने से मृत्य दर 1.09 प्रतिशत, वहीं ब्लैक फंगस की मृत्यु दर  6.74 प्रतिशत है। इसके अलावा, नए मामलों की संख्या में भी ब्लैक फंगस पीछे नहीं है। पिछले 25 दिनों में रोजाना औसतन 32 केस आए हैं। ऐसे में इनकी कुल संख्या 816 से अधिक पहुंच गई है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों में ये तथ्य सामने आए हैं। शनिवार तक प्रदेश में कुल 816 केस आए थे। इनमें से 55 मरीजों की मौत हो चुकी है। ऐसे में प्रतिदिन औसतन 2 मरीजों की ब्लैक फंगस जान ले रहा है।

रिकवरी दर भी 6 प्रतिशत से अधिक
राहत की बात है कि अब तक 58 मरीज ठीक हो चुके हैं। ऐसे में रिकवरी दर भी 6 प्रतिशत से अधिक है। इस समय करीब 688 मरीज अलग अलग मेडिकल कॉलेजों में इलाज ले रहे हैं। हरियाणा में 4 मई के बाद से ब्लैक फंगस के केस आने शुरू हुए थे। 12 मई तक अकेले रोहतक पीजीआई में 20 मरीज पहुंच गए थे। ब्लैक फंगस 18 जिलों में दस्तक दे चुका है। केवल चार जिले ऐसे हैं, जहां पर ब्लैक फंगस का केस नहीं आया है। 

इसलिए हो रही अधिक मौत
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लैक फंगस और कोरोना के मामलों में कुछ अंतर है, इसलिए फंगस से मृत्यु दर अधिक है। कोरोना से लोग एक साल से अधिक से लड़ रहे हैं और इसकी दवा और टीका आ चुका है। जबकि ब्लैक फंगस की बीमारी तेजी से फैली है। इसकी दवा भी बाजार में नहीं है। दूसरा, कोरोना के मरीज होम आइसोलेशन में इलाज ले सकते हैं, लेकिन ब्लैक फंगस के मामलों में ऐसा नहीं है। तीसरा, कोरोना के मुकाबले ब्लैक फंगस तेजी से आंख, कान और दिमाग पर हमला करता है, जिससे मरीज की मौत हो रही हैं।

इंजेक्शन के लिए चल रही है मारामारी
एक तरफ हरियाणा में तेजी से ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं, जबकि इसके इलाज में प्रयोग होने वाले इंजेक्शन एंफोटेरेसिन बी की भारी कमी है। इंजेक्शन की कमी के चलते कई जिलों में तो मरीजों के आपरेशन तक अटके हुए हैं और वहीं स्थानों पर मरीजों को कई कई दिन तक एक भी इंजेक्शन नहीं मिल रहा है। न तो बाजार में ये इंजेक्शन मिल रहे हैं और न ही सरकार के पास इसका पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है।

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